(पंखिल वर्मा, ब्यूरो रिपोर्ट चंडीगढ़)
हरियाणा में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने वाली भाजपा के CMO में इस बार कुछ अलग दिखने वाला है। सूत्रों की अगर माने तो पूर्व सीएम व केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल के खासमखास रहे नेता इस बार सीएमओ में दिखाई नहीं देंगे और वर्तमान सीएम नायब सैनी के चहेतों को सीएमओ में जगह मिल सकती है।
खास बात तो ये है कि सीएमओ में शामिल होने के लिए दो पूर्व राज्यमंत्री भी कतार में लगे हैं। इनमें पहला नाम थानेसर से चुनाव हार चुके सुभाष सुधा का है। वहीं दूसरा नाम अंबाला सिटी से विधानसभा चुनाव हारे असीम गोयल का नाम शामिल है।जबकि सीएमओ का गठन दिल्ली से मंजूरी के बाद ही होगा।हालांकि पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के करीबी माने जाने वाले 2 सीनियर आईएएस ऑफिसर को दोबारा मौका जरूर मिल सकता है। खबरों की माने तो 13 नवंबर से शुरू होने वाले विधानसभा सेशन से पहले ही सीएमओ का गठन हो सकता है।
बात अगर सीएमओ की करें तो वर्तमान में इस पद पर रिटायर्ड आईएएस राजेश खुल्लर हैं। हरियाणा में भ्रष्टाचार की जड़ माने जाने वाले सरकारी भर्ती, ट्रांसफर और लैंड यूज चेंज से जुड़ी प्रक्रिया को कंप्यूटराइज्ड कराने का श्रेय राजेश खुल्लर को ही जाता है। राजेश खुल्लर की सितंबर-2020 में वर्ल्ड बैंक के वॉशिंगटन डीसी कार्यालय में कार्यकारी निदेशक के रूप में नियुक्ति हो गई। उनकी नियुक्ति तीन साल के लिए हुई थी। अमेरिका जाने से पहले उन्होंने करीब पांच साल हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ उनके प्रधान सचिव के रूप में काम किया। राजेश खुल्लर 1988 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। 2014 में राज्य में बीजेपी सरकार बनने के बाद से ही वह तत्कालीन सीएम मनोहर लाल की गुड बुक में रहे। खुल्लर 31 अगस्त 2023 को रिटायर हुए।35 साल के लंबे कार्यकाल के दौरान राजेश खुल्लर कई जिलों के डीसी, विभागाध्यक्ष और प्रशासनिक सचिव रहे।
बड़ी बात तो ये है कि हाल ही में उनकी नियुक्ति को लेकर जो आदेश जारी हुए थे उस विवाद भी काफी हुआ था। क्योंकि पहले आदेश में उन्हें कैबिनेट रैंक का दर्जा दिया गया था, जिसके बाद विरोध के चलते आदेश रोक दिया गया था। जिसके बाद फिर से नए आदेश जारी किए गए थे।
हरियाणा सीएमओ में 3 से लेकर 4 तक स्पेशल ऑफिसर आन ड्यूटी (OSD) बनाए जाते हैं। इसमें पहला सीएम हाउस (OSD) इसके अलावा ओएसडी ट्रांसफर भी बनाया जाता है। इसके अलावा 2 और ओएसडी भी बनाए जा सकते हैं। हालांकि इस पर अंतिम फैसला मुख्यमंत्री के द्वारा ही किया जाता है।