(पंखिल वर्मा, ब्यूरो रिपोर्ट चंडीगढ़)
कांग्रेस पार्टी जिसकी सरकार हिमाचल में बड़े बड़े वादे करके आई थी लेकिन अब उन्हीं वादों की पोल तब खुल गई जब दिल्ली के हिमाचल भवन को कुर्क करने का आदेश हिमाचल हाई कोर्ट ने जारी कर दिया। क्योंकि एक बिजली कंपनी का 64 करोड़ रुपए का बकाया न चुका पाने के चलते ये आदेश जारी हुआ है। दिल्ली का मशहूर हिमाचल भवन शहर की पहचान बन चुका था क्योंकि इस भवन में हिमाचल से आए हुए लोग रूका करते थे। यहां कभी कपड़ों की सेल लगती थी, सुबह-शाम यहां चहल-पहल रहती थी। यह भवन दिल्ली के मंडी हाउस में स्थित है, लेकिन अब यहां पर जल्द ही सन्नाटा पसरने वाला है।
भाजपा नेता जेपी नड्डा का तंज
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर जमकर निशना साधा। उन्होंने कहा कि, ‘कांग्रेस की सुक्खू सरकार भ्रष्टाचार, घोटाला और कुव्यवस्था की प्रतीक बन गई है। कांग्रेस सरकार के घोटाले और काले कारनामे इस हद तक निचले स्तर पर पहुंच गए हैं कि हिमाचल प्रदेश की धरोहरों की भी कुर्की की नौबत आ गई है, हिमाचल के इतिहास में इससे शर्मनाक वाकया कुछ और नहीं हो सकता’
हिमाचल सरकार पर बढ़ रहा कर्जा
हिमाचल सरकार पर कर्ज बढ़ता ही जा रहा है। रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, हिमाचल में कांग्रेस के सत्ता में आने से पहले मार्च 2022 तक 69 हजार करोड़ रुपये से कम का कर्ज था। लेकिन उसके सत्ता में आने के बाद मार्च 2024 तक 86,600 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज हो गया। मार्च 2025 तक हिमाचल सरकार पर कर्ज और बढ़कर लगभग 95 हजार करोड़ रुपये का हो जाएगा।
हालांकि, ऐसा नहीं है कि कर्ज सिर्फ कांग्रेस सरकार में ही बढ़ा है। आंकड़ों की माने तो सुक्खू सरकार से पहले की दो सरकारों में भी हिमाचल पर काफी कर्ज बढ़ गया था। सुक्खू से पहले बीजेपी के जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री थे. उनकी सरकार में कर्ज 46 फीसदी तक बढ़ा था। मार्च 2018 तक हिमाचल सरकार पर 47,244 करोड़ रुपये का कर्ज था, जो मार्च 2022 तक बढ़कर लगभग 69 हजार करोड़ रुपये पहुंच गया था। बीजेपी सरकार से पहले 2012 से 2017 तक कांग्रेस की सरकार थी और वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री थे। उनकी सरकार में 56 फीसदी तक कर्ज बढ़ गया था।
सरकार पर क्यों बढ़ रहा है कर्ज?
2022 के चुनाव में सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस ने कई बड़े वादे किए थे। रिपोटस की माने तो सरकार में आने के बाद इन वादों पर बेतहाशा खर्च किया जा रहा है। हिमाचल सरकार के बजट का 40 फीसदी तो सैलरी और पेंशन देने में ही चला जाता है। लगभग 20 फीसदी कर्ज और ब्याज चुकाने में खर्च हो जाता है। सुक्खू सरकार महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये देती है, जिस पर सालाना 800 करोड़ रुपये खर्च होता है। ओल्ड पेंशन स्कीम भी यहां लागू कर दी गई है, जिससे एक हजार करोड़ रुपये का खर्च बढ़ा है। जबकि, फ्री बिजली पर सालाना 18 हजार करोड़ रुपये खर्च होता है।
हिमाचल सरकार को और झटका तब लगा जब केंद्र सरकार ने कर्ज लेने की सीमा को और कम कर दिया। पहले हिमाचल सरकार अपनी जीडीपी का 5 फीसदी तक कर्ज ले सकती थी लेकिन अब 3.5 फीसदी तक ही कर्ज ले सकती है। यानी, पहले राज्य सरकार 14,500 करोड़ रुपये तक उधार ले सकती थी, लेकिन अब 9 हजार करोड़ रुपये ही ले सकती है।