(पंखिल वर्मा, ब्यूरो रिपोर्ट चंडीगढ़)
सतीश पूनिया भाजपा के उन नेताओं में शुमार हैं। वे राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष हैं और हरियाणा में चुनाव जीतवाने में एक अहम भूमिका निभाई है या फिर यू कहें कि भाजपा के लिए एक सियायी जमीन तैयार करने का काम सतीश पूनिया ने किया। डॉ. पूनिया पीएम नरेंद्र मोदी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ केंद्रीय मंत्री अमित शाह के सबसे भरोसेमंद नेताओं में से एक माने जाते हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने भाजपा नेता सतीश पूनिया की ड्यूटी हरियाणा में लगाई थी। पीएम मोदी और केंद्रीय मंत्रियों के लिए हुई बड़ी- बड़ी चुनावी रैलियों का प्रबंधन डॉ. पूनिया ने किया था।
हरियाणा के विधानसभा चुनाव में लिखी जीत की पटकथा
हरियाणा के विधानसभा चुनाव में जीत की पटकथा लोकसभा चुनाव के दौरान ही लिखी जा चुकी थी। पूनिया ने लोकसभा चुनाव प्रभारी के तौर पर आते ही कहा था कि, ‘ये चुनाव विधानसभा के पूर्वाभ्यास की तरह लड़ना चाहिए हालाकि पूनिया को लोकसभा चुनाव की रणनीति और प्रबंधन के लिए मात्र 22 दिन मिले थे’। उनके आने से पहले टिकट और बाक़ी काम तय हो चुके थे लेकिन फिर भी पूनिया अपने हुनर से उस धारणा को तोड़ने में कामयाब हुए कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस क्लीन स्वीप करेगी और भाजपा का सफ़ाया हो जाएगा।लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस प्रायोजित किसान, जवान, पहलवान और संविधान बदलने जैसे नेरेटिव और आंदोलनों के कारण भाजपा बैकफ़ुट पर थी ऐसे में उस चुनौती के बीच मुक़ाबले को बराबरी पर खड़ा कर दिया था। भाजपा ने लोकसभा चुनावों के परिणामों में 44 विधानसभा सीटों पर बढ़त बना ली थी। दिखने में यह सामान्य आंकड़ा था लेकिन पूनिया के तीसरी बार सरकार बनने के भरोसे का एक आधार यह भी था यानि विधानसभा जीत की पृष्ठभूमि लिखी जा रही थी। उनके द्वारा पार्टी के माइक्रो मैनेजमेंट की शुरुआत लोकसभा चुनाव के दौरान ही हो गई थी और इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का अप्रत्यक्ष सहयोग भी था।
चुनौतीपूर्ण रही चुनावी स्थिति को किया सफल
पूनिया ने अध्यक्ष के नाते साढे तीन साल के कार्यकाल में परिश्रम की पराकाष्ठा करते हुए भाजपा को राजस्थान में स्पष्ट जीत के दरवाजे तक पहुंचा दिया । “गढ़ आया-सिंह गया” की तर्ज पर जहां उन्होंने ने राजस्थान प्रदेश में पूरा समय लगाया उसका खामियाजा भी पूनिया को उठाना पड़ा और विपरीत परिस्थितियों में जीती आमेर की सीट हार बैठे। फिर भी सतीश पूनिया की काबिलियत को पार्टी ने सराहते हुए उन्हें राजस्थान के जालौर सीट जहां पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत के पुत्र चुनाव लड रहे थे वहां भेजा और वहीं से सीधे हरियाणा में लोकसभा चुनाव प्रभारी की चुनौतिपूर्ण अहम जिम्मेदारी सौंपी दी। लोकसभा चुनाव जहां भाजपा के लिए हरियाणा में चुनौतिपूर्ण था ऐसे में पूनिया के लिए हरियाणा में चुनावी स्थिति को बेहतर बनाना एक बड़ी चुनौती थी।
माइक्रो मैनेजमेंट और कार्यकर्ताओं का कुशल प्लेसमेंट आया काम
विधानसभा चुनावों में पूर्ण बहुमत के लिए अहम कार्य था संगठन का प्रबंधन, माइक्रो मैनेजमेंट, कार्यकर्ताओं का कुशल प्लेसमेंट, जिस पर पूनिया का विशेष फ़ोकस रहा। पूनिया के स्नेही व्यवहार कुशलता की प्रशंसा हरियाणा भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से लेकर हर छोटे कार्यकर्ता ने की। पूनिया ने चारों प्रभारियों के बीच अपने एक अलग छाप हरियाणा के कार्यकर्ताओं पर छोड़ी। जुलाई 2024 में नियुक्ति से लेकर चुनाव तक पूनिया ने हरियाणा के रोहतक में घर लेकर रोहतक को केन्द्र बनाया और हरियाणा के लगातार प्रवास करते रहे। पूनिया का समर्पण 5 अक्टूबर को नजर आया, जब 2 अक्टूबर की रात, अचानक उनका स्वास्थ्य बिगड़ा और गंभीर अस्वस्थ में पूनिया को एक सर्जरी से गुजरना पड़ा । लेकिन 5 अक्टूबर को रोहतक के अस्पताल से सीधे पार्टी मुख्यालय के चुनाव ‘वार रूम’ में अचानक पहुंच गए और कार्यकर्ताओं को मोटिवेट करते नजर आए।