(ब्यूरो रिपोर्ट पंखिल वर्मा)
स्कूली शिक्षा व्यवस्था को लेकर हरियाणा के दो बड़े नेता आमने सामने हैं। एक तरफ तो स्कूली शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर हैं जबकि दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी की नेता चित्रा सरवारा है। जो कि हरियाणा के सरकारी स्कूलों में मिलने वाली सुविधाओं और व्यवस्थाओं को लेकर एक दूसरे पर हमलावर हैं। बता दें सबसे पहले तो चित्रा सरवारा ने मंत्री कंवरपाल गुर्जर को चैलेंज किया था कि क्या वे हरियाणा का एक भी ऐसा सरकारी स्कूल दिखा सकते हैं जिसमें कि सही व्यवस्थाए हों। फिर इसके बाद शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने पलटकर चित्रा सरवारा को चैलेंज किया और स्कूल दिखाने का दोबारा से चैलेंज कर दिया।
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चैलेंज के खेल का आगाज़
अब इस चैलेंज के खेल को आगे बढ़ाते हुए आप नेता चित्रा सरवारा ने मंजूर किया और कहा कि अब क्योकि उनका विधानसभा क्षेत्र जगाधरी है, इसलिए वहां के गांव भेड़थल, महमूदपुर और लक्कड़भीलपुरा और तारनवाला के स्कूल में से किसी भी स्कूल में वे खुद आने को तैयार हैं। यहां के स्कलों का वे दौरा करेंगी और देखेंगी कि मंत्री ने अपने इलाके के स्कूलों का कैसा विकास करवाया है।
‘दिल्ली के स्कूलों से हरियाणा के स्कूल बेहतर’
आपको बता दे कि चैलेंज का ये खेल खुद स्कूली शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने शुरू किया था। जब उन्होने दिल्ली के शिक्षा मॉडल पर सवाल उठाए थे और अपने हरियाणा के स्कूलों के विश्वस्तरीय होने की बात कही थी। जिस पर आम आदमी पार्टी की नेता चित्रा सरवारा को स्कूल दिखाने का न्योता दिया था।
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अब चित्रा सरवारा की है बारी
इसके जवाब में चित्रा सरवारा ने कहा कि स्कूल और समय सब शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर निर्धारित करेंगे। उन्होंने कहा कि दिल्ली के 5 सरकारी स्कूलों ने एजुकेशन वर्ल्ड रैंकिंग में देश के टॉप टेन स्कूलों में जगह बनाने का काम किया था। वहीं देश के टॉप पहले और दूसरे नंबर के स्कूलों में भी अरविंद केजरीवाल के दिल्ली शिक्षा मॉडल के सरकारी स्कूलों ने जगह बनाने का काम किया।
3 thoughts on “स्कूल की लड़ाई में कौन जीतेगा चैलेंज… AAP की नेता या सरकार का मंत्री?”