(ब्यूरो रिपोर्ट कपिल शर्मा)
सरिता विहार मदनपुर खादर में दुकानों को सील करने के लिए एमसीडी एक्शन मोड में दिखाई दिया। दक्षिण दिल्ली में अतिक्रमण के खिलाफ एमसीडी का बड़ा अभियान बिते वर्षों से चल रहा है। शुक्रवार को ऑपरेशन सील के खिलाफ मदनपुर खादर में खूब हंगामा हुआ। नगर निगम का ऑपरेशन सील को लेकर स्थानीय वासियों ने विरोध किया। इस दौरान निगम के अधिकारियों के बीच जमकर बहसबाजी हुई।
मिली जानकारी अनुसार दक्षिण दिल्ली नगर निगम लाजपत नगर कार्यालय, उप आयुक्त द्वारा /बिल्डर/ कब्जेधारी/ मालिक सूरेश को डीएमसी अधिनियम, 1957 (1957 का 66) की धारा 345-ए के तहत वर्ष 2019 में आदेश पारित किया था। उसके अनुपालन में 14 जून 2024 को संज्ञान लिया गया।
इस घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए वार्ड 186 के पार्षद ब्रहमसिंह बिदूरी ने कहा कि नगर निकाय कथित संपत्ति मालिकों को दिए गए नोटिस के जवाबों की जांच कर रहा है और असंतोषजनक जवाब मिलने पर कानून अपना काम करेगा। उन्होंने बताया कि नगर निगम मेयर शैली ओबेरॉय है। अनधिकृत संपत्ति के आदेशों में यह सब आम आदमी पार्टी की मिलीभगत है। शुक्रवार को पीड़ित परिजनों द्वारा इसका विरोध किया गया।
गौरतलब है कि सरिता विहार मदनपुर खादर की डेरी फार्म में वर्षों से रह रहे पीड़ित परिवार सदस्य निशा अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि, दिल्ली नगर निगम की ओर से भारी मात्रा में टीएसआर जवान और दिल्ली पुलिस की टीम के साथ नगर निगम कर्मियों ने दुकानों की सामग्रियों को बाहर करते हुए दुकानों को सील करने के प्रयास किए। उन्होंने बताया कि मदनपुर खादर में 200 से ज्यादा घर और करीब 50 दुकानें हैं।
गुरुवार को 10 दुकानों और एक घर व दो रुम को सील किया गया। शुक्रवार को भी एमसीडी पुलिस बल के साथ घरों और ट दुकानों को सील करने के लिए शाम 4 बजे तक जुटी रही। लेकिन स्थानीय निवासियों के विरोध और हंगामा की वजह से सील नहीं कर पाई। साथ ही एमसीडी अधिकारियों ने मंगलवार को फिर से घरों को सील करने की प्रक्रिया पर संज्ञान लेने की चेतावनी दी।
पीड़ित परिवार सदस्य ने बताया कि आधिकारिक तौर पर उन्हें अभी तक कोई सूचना या आदेश प्राप्त हुआ है। ये सारा आम आदमी पार्टी की साठगांठ से एमसीडी एक्शन ले रही है। पीड़ित परिवारों ने अपनी गुहार में बताया कि नगर निगम अधिकारियों के पास कोई भी किसी प्रकार का नया आदेश नहीं था। 2019 में मिले नोटिस के आधार पर जून 2024 में सील प्रकिया पर संज्ञान लिया गया है। पीड़ित परिवार की महिलाओं ने एमसीडी पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि पुरुष पुलिस कर्मियों ने उन्हें जबरन पकड़कर घर से बाहर किया गया।