(ब्यूरो रिपोर्ट पूनम)
4 राज्यों के चुनावी नतीजे सामने आए, जिसमें किसी को जीत मिली तो किसी को हार। 3 राज्यों में जहां भाजपा ने जीत दर्ज की, तो वहीं एक राज्य मे कांग्रेस ने जीत का बिगुल बजाया। लेकिन इन सबमें सबसे शर्मनाक प्रदर्शन तो आम आदमी पार्टी का रहा। जो कि अपना खाता भी नहीं खोल पाई। मध्यप्रदेश, राजस्थान और छतीसगढ़ में तो आप ने पूरा जोर लगा दिया था लेकिन अफसोस कि सपने टूट कर बिखर गए और बुरी तरीके से मुंह की खानी पड़ी है।
पंजाब में मिली अपार जीत के बाद से आम आदमी पार्टी बड़े सपने देखने लगी थी। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान तो बतौर स्टार प्रचारक मध्यप्रदेश, राजस्थान और छतीसगढ़ में उतरे थे। फ्री वाली स्कीम को लेकर वे जनता के बीच गए लेकिन लगता है कि इन तीनो की राज्यों की जनता को फ्री वाली स्कीम पसंद नहीं आई और उन्होंने आप को सिरे से ही नकार दिया। इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया की ऑफिशियल वेबसाइट की इन तस्वीरों को अगर आप देखेंगे तो आम आदमी पार्टी कहीं पर भी नजर नहीं आएगी।
छत्तीसगढ़ में जहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच मे कांटे की टक्कर रही, तो वहीं मध्यप्रदेश में भी बीजेपी और कांग्रेस ने ही एक दूसरे को टक्कर दी है। तो वहीं बात अगर राजस्थान की करे तो फिर यहां पर बीजेपी, कांग्रेस, बीएसपी और निर्दलीय के बीच में टक्कर देखेन को मिली। जबकि तेलंगाना में कांग्रेस, बीजेपी, एआइएमआइएम और सीपीआई के बीच टक्कर रही।
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में 200 से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे ।केजरीवाल ने दिल्ली-पंजाब की तरह इन राज्यों में भी मुफ्त बिजली-पानी और शिक्षा का वादा किया था। कई रैलियों और रोड शो के बावजूद AAP को कोई फायदा नहीं मिला चुनाव आयोग के मुताबिक, आम आदमी पार्टी को छत्तीसगढ़ में 0.97% वोट मिलता दिख रहा है। जबकि मध्यप्रदेश में 0.42% और राजस्थान में 0.37% वोट मिल रहा है
कुल मिलाकर आम आदमी पार्टी जो कि बड़े बड़े सपने देखने लगी थी, अब वे सपने धराशाही हो गए हैं और अब हाथ में हार के सिवा कुछ रह नहीं गया है। जीत को लेकर जो दावे किए जाते रहे वो महज दावे ही रह गए। हरियाणा को लेकर भी जो सपने आप ने बुने है, उस पर भी कहीं ना कहीं ब्रेक लग गया है। ऐसे में जरूरत है कि आम आदमी पार्टी अभी हार के कारणों पर मंथन करे।