अंबाला में लगने वाला भव्य वामन द्वादशी का मेला जो लोगों के लिए एक आस्था था, तो वहीं अब ये मेला विवादों में हैं। खासतौर पर विधायक असीम गोयल का नाम इस पूरे विवाद में सामने आ रहा है। बता दें कि विश्व हिंदू तख्त के अध्यक्ष विरेश शंडिल्य ने मेले के आयोजन को लेकर सवाल तो खड़े किए ही साथ ही अंबाला शहर से विधायक असीम गोयल को भी सीधे तौर पर कटघरे मे ला खड़ा कर दिया।
विरेश शंडिल्य ने सीधे सीधे विधायक पर लगाए आरोप
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बता दे कि असीम गोयल वही विधायक हैं जो कि जनता के काम करवाने को लेकर दावे तो बड़े बड़े करते हैं लेकिन अब वही विधायक एक बड़े विवाद में फंस गए हैं। अंबाला में लगने वाले वामन द्वादशी मेले को कैप्चर करने के आरोपों से विधायक असीम गोयल घिर गए हैं और बड़ी बात तो ये है कि ये सभी आरोप कोई निराधार नहीं है बल्कि विधायक असीम गोयल पर इस मेले में सब जगह अपने ही लोगों को फिट करने या फिर यूं कहें कि मेले के मैनेजमेंट की जिम्मेदारी विधायक द्वारा अपने ही खास लोगों के हाथो में सौंपने के आरोप लग रहे हैं। विश्व हिंदू तख्त के अध्यक्ष विरेश शंडिल्य ने सीधे सीधे विधायक पर आरोप लगाते हुए कहा कि मेले को लूट का अड्डा बना दिया गया।
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शक के घेरे में मनोज गोयल
आपको ये बता दें कि इसमें सबूत के तौर पर सबसे बड़ा नाम तो मनोज गोयल का सामने आ रहा है। जो कि खुद को मेला सचिव बता रहा था। लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि सनातन धर्म का सभा का सदस्य ये है भी या नहीं। इस बारे मे हमने सनातन धर्म सभा के प्रधान नरेश अग्रवाल से भी बातचीत की और ये जाना कि मनोज गोयल क्या इस सभा के सदस्य हैं या नहीं
मेले में हताश हुए लोग
फिर इसके बाद बात आती है मेले के आयोजन पर होने वाले खर्च की। ऐसा बताया जा रहा है कि मेले में बैंड बाजे जो लगाए गए थे वो भी काफी महंगे दामों पर थे और जबरपुर से मंगवाए गए थे। सनातन धर्म सभा ने अपने बजट से दोगुना खर्चा पर किया। बड़ी बात तो ये है कि इस बार के मैनजमेंट से तो हिंडोले वाले भी परेशान नजर आए। उन्होने तो साफ तौर पर ये कह दिया वे अगली दफा हिंडोले लेकर नहीं आएंगे। कुल मिलाकर बात ये है कि वामन द्वादशी का मेला जो कि लोगों के लिए एक आस्था बनाए हुए था, उससे भी लोग निराश और हताश नजर आए। क्योंकि मेले के दौरान लोगों को सही से दर्शन नहीं करने दिया गया। हड़बड़ी में लोगों को आगे निकाल दिया गया। लोग जो कि पहले पूरा समय लेकर भगवान वामन के हिंडोलो के दर्शन किया करते थे, उससे भी वो वंचित रह गए।
2 thoughts on “क्या 300 साल पुराने वामन द्वादशी मेले को विधायक असीम गोयल ने बनाया लूट का अड्डा?”