बिकरु गांव में 8 पुलिसकर्मियों को निर्मम हत्या कर भागने वाले विकास दुबे को यूपी पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया। आज सुबह उज्जैन से कानपुर लाने के क्रम में यह घटना हुआ।
विकास दुबे के मौत के साथ हीं वो सारी बातें दब गयीं जो उसके और उसे समर्थन देने वाली कुछ राजनीतिक दलों के बीच थीं। किसी न किसी को डर था कि अगर विकास ने सब उगला तो उसको समर्थन देने वाली पार्टियों के नाम सामने आ जाते। ऐसे तो बताया जाता है कि कोई पार्टी उससे अछूता नहीं था ।
चुनाव में मदद मांगने लगभग वहां के सभी पार्टियों के नेता पहुँच हीं जाते थे। विकास खुद अपने छेत्र में निर्विरोध चुनाव जीत चुका था।उसके गैंगेस्टर बनने की कहानी 1991 से शुरू होती है। उस समय से यूपी में बहुत सरकारें बदली फिर भी वो बचता गया। जिस अपराधी पर 60 केस दर्ज हो, जो थाने में घुस कर दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री का हत्या किया हो वो अपने बंगलेनुमा घर में आराम फरमा रहा है।
सरकारी दफ्तर में एक बार सीसीटीवी कैमरा खराब होने के बाद महीनों लग जाते हैं लेकिन उसके बंगले में सीसीटीवी कैमरा पहरे दे रहे थे वो भी बड़ी मात्रा में। क्या विकास दुबे का सारे पार्टियों पर कर्ज था जो इतने सरकार बदलने के बाद भी उस पर कड़ी करवाई तब होती है जब वो 8 पुलिस वालों को मार देता है।
उससे पहले यह यूपी पुलिस के राडार पर क्यों नहीं आया। अगर उसे पहले हीं रोक दिया गया होता तो 8 पुलिस वाले आज जिंदा होते और पुलिस वालों पर भी ये आरोप नहीं लगती की पुलिस ने फेक एनकाउंटर किये हैं।
लोगों को ये दुख नहीं होना चाहिए कि विकास दुबे मारा गया है,लेकिन लोगों को अपने सिस्टम से ये जरूर पूछना चाहिए कि विकास दुबे को कुख्यात विकास दुबे बनाने वाले नेताओं पर कब करवाई होगी आज विकास दुबे मारा गया है। लेकिन विकास दुबे को समर्थन देने वालों पर कानून ने शिकंजा नहीं कसा तो अभी और विकास जनम लेंगे हीं।
बताया जाता है कि सपा बसपा और भाजपा नेताओं के बेहद करीब रहा है।
विकास के मौत के बाद कई नेताओं का बयान आया कि यह एनकाउंटर किया जाना सही नहीं था।
सपा नेता अखिलेश यादव ज्यादा कुछ तो नहीं लिखे लेकिन सरकार को घेरते हुए बस लिखे की “दरअसल ये कार नहीं पलटी है, राज़ खुलने से सरकार पलटने से बचाई गयी है”
दरअसल ये कार नहीं पलटी है, राज़ खुलने से सरकार पलटने से बचाई गयी है.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) July 10, 2020
शायद अखिलेश यादव ये भूल गए हैं कि उनके नेताओं का भी सम्पर्क था। अब तो बोलेंगे हीं क्योंकि उनके नेताओं का भी राज खुल जाता। लेकिन फिलहाल एनकाउंटर के बाद उनके पार्टी के नेता भी बच गए।
इसके बाद मायावती ने लिखा कि “कानपुर पुलिस हत्याकाण्ड की तथा साथ ही इसके मुख्य आरोपी दुर्दान्त विकास दुबे को मध्यप्रदेश से कानपुर लाते समय आज पुलिस की गाड़ी के पलटने व उसके भागने पर यूपी पुलिस द्वारा उसे मार गिराए जाने आदि के समस्त मामलों की माननीय सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए।”
दूसरे ट्वीट में उन्होंने ने लिखा कि “यह उच्च-स्तरीय जाँच इसलिए भी जरूरी है ताकि कानपुर नरसंहार में शहीद हुए 8 पुलिसकर्मियों के परिवार को सही इन्साफ मिल सके। साथ ही, पुलिस व आपराधिक राजनीतिक तत्वों के गठजोड़ की भी सही शिनाख्त करके उन्हें भी सख्त सजा दिलाई जा सके। ऐसे कदमों से ही यूपी अपराध-मुक्त हो सकता है।”
1. कानपुर पुलिस हत्याकाण्ड की तथा साथ ही इसके मुख्य आरोपी दुर्दान्त विकास दुबे को मध्यप्रदेश से कानपुर लाते समय आज पुलिस की गाड़ी के पलटने व उसके भागने पर यूपी पुलिस द्वारा उसे मार गिराए जाने आदि के समस्त मामलों की माननीय सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए। 1/2
— Mayawati (@Mayawati) July 10, 2020
इनलोगों को अच्छे तरह से पता है कि अगर अब सीबीआई जांच हुआ तो विकास के बिना आधा सूचना हीं मिल पायेगा और जाँच में हमारा नाम आया तो सरकार पर आरोप लगाएंगे की सरकार हमको फंसा रही है। लेकिन बसपा प्रमुख मायावती ये न भूलें की उनके पार्टी से भी विकास का रिश्ता रहा है।
आप इसे पढ़े और समझ गए तो शेयर भी करें और लोगों को समझाएं कि किसी अपराधी को समर्थन न दें और जो नेता उसका समर्थन दे उसे भी आप समर्थन न दें।